हाथ पैर क्यों सुन्न पड़ जाते हैं?

तो कैसे हैं आप लोग? आज मैं आपको बताऊंगा 
हमारे हाथ पैर क्यों सुन्न हो जाते हैं ? इसके पीछे का कारण क्या है। सुन्न हो जाने पर क्या इलाज हो सकते हैं? तो चलिए शुरू करते हैं..

देखिए इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में हमारा खान-पान इतना अस्त-व्यस्त हो गया है कि हम अपनी सेहत की तरह पूरी तरह से ध्यान नहीं दे पाते और परिणाम स्वरूप हम कई बीमारियों के शिकार बन जाते हैं।

आज हम जिस बीमारी के बारे में बात करेंगे वह है हाथों और पैरों का सुन्न होना। काफी लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठे रहने से कई बार हमारे हाथ- पैर सुन हो जाते हैं और हमें किसी चीज का एहसास भी नहीं होता। लेकिन कुछ समय के बाद वे अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। लेकिन कई बार अचानक ही हाथ या पैर सुन्न पड़ जाते हैं। उनमें अजीब सी झनझनाहट होने लगती है। आमतौर पर ये गंभीर बात नहीं है, पर अगर बार-बार कोई अंग सुन्न हो रहा है और असर देर तक रहता है तो डॉक्टर से मिलना जरूरी है।


ऐसी स्थिति में किसी स्पर्श का एहसास ही नहीं होता, किसी काम को करना मुश्किल हो जाता है। कभी-कभी दर्द और कमजोरी भी महसूस होती है। आमतौर पर यह समस्या गंभीर नहीं होती और कुछ मिनटों के बाद खुद से या थोड़ी बहुत मालिश के बाद ठीक भी हो जाती है।


चलिए जानते हैं की हाथ पैर के सुन्न हो जाने के पीछे का कारण क्या है।


हाथ या पैर सुन्न क्यों हो जाते हैं?


1. शरीर में विटामिन B-12 की कमी का होना।
:- जी हां Frnds.. विटामिन B-12, विटामिन B12 को Cobalamin भी कहा जाता हैं। यह एकलौता ऐसा विटामिन है जिसमे Cobalt धातु पाया जाता हैं। यह शरीर के स्वास्थ्य और संतुलित कार्य प्रणाली के लिए बेहद आवश्यक विटामिन हैं। विटामिन B12 शरीर में लाल रक्त कोशिकाओ (Red Blood cells) के निर्माण हेतु जरुरी होता हैं। और जब ये होगा ही नहीं तो शरीर में रक्त की कमी (Anaemia) होगी ही।



2. गर्दन या कमर की नसों का दब जाना
:- जब किसी नस पर सीधा दबाव पड़ने लगता है, तो उस स्थिति को नस दबना कहा जाता है। अब ये दबाव कैसे भी हो सकता है, आप लंबे समय से एक Position में बैठे हो तो इस स्थिति में प्रभावित नस सिग्नल नहीं भेज पाती। शरीर की अलग-अलग जगहों में उपस्थित नसों के अनुसार नस दबने के कारण भी अलग-अलग हो सकते हैं। कोई कार्य बार-बार दोहराने (एक ही गति में कार्य करने) से भी नस दब जाती है। शरीर को लंबे समय तक एक ही अवस्था में रखने से भी नस दब जाती है, जैसे सोने के दौरान लंबे समय तक कोहनी को मोड़ तक रखना। पैर मोड़कर लंबे समय तक बैठे रहना।



3. खून में शुगर की मात्रा का बढ़ जाना
:-आप लोगो में से बहतों को मीठा खाना पसंद है लेकिन आपको जानकर ताज्जुब होगा ज्यादा मीठा खाना ब्लड में सुगर की मात्रा को बढ़ा देता है। ब्लड शुगर या ब्लड ग्लूकोज लेवल हमारे शरीर में मौजूद ग्लूकोज की मात्रा होती है। अगर शुगर की मात्रा हमारे शरीर में बढ़ जाए तो उसे हाइपरग्लेसेमिया कहा जाता है और ब्लड शुगर का लेवल शरीर में तब बढ़ता है, जब शरीर में इंसुलिन नहीं बना पाता या इंसुलिन अपना सही काम नहीं करता । इंसुलिन एक प्रकार का हार्मोन है जिसका निर्माण अग्नाशय में होता है और यही ब्लड सुगर को एनर्जी में बदलता है। इसके अलावा और भी कारण है जैसे कि कंप्यूटर पर ज्यादा काम करना। हमारे उठने और बैठने का तरीका सही ना होना। किसी गंभीर बीमारी का संकेत होना। इत्यादि।


इतना जान ही गए हैं तो ये भी जान लीजिए कि इसके इलाज क्या हो सकते हैं।


व्यायाम करना -
व्यायाम करने से हमारे शरीर में रक्त का संचार ठीक होता है और हम इस बीमारी से काफी हद तक छुटकारा पा सकते हैं। इसीलिए हमें रोजाना अपने रक्त संचार को ठीक रखने के लिए व्यायाम करना चाहिए ।

मालिश करना-
मालिश करने से भी हमारी नसों में खून का संचार ठीक प्रकार से होता है और हम इस बीमारी से काफी हद तक निजात पा सकते हैं। इसीलिए हमें गरम जैतून,सरसों या नारियल के तेल से रोजाना मालिश करनी चाहिए ताकि हमारा रक्त संचार ठीक बना रहे।


दालचीनी और शहद - अगर हम दालचीनी को पीसकर उसने थोड़ी सी शहद मिलाकर खाते हैं तो इससे भी हमारी दबी हुई नसें ठीक होती हैं। दालचीनी को हम पानी के साथ भी ले सकते हैं।


सिकाई करना- अगर हम गर्म पानी या रेत से अपने शरीर की सिकाई करते हैं तो इससे भी हमारी नसे खुल जाती हैं और हमारी दबी हुई नसें धीरे-धीरे ठीक होने लगती हैं।


खुली हवा में सांस लेना- अगर हम नित्य प्रति खुली हवा में घूमते हैं तो हमारे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा पर्याप्त हो जाती है और हमारी दबी हुई नसें ठीक होने लगती हैं।

Frnds अगर इन घरेलू उपचारों से हमारी यह बीमारी ठीक नहीं होती है तो हमें इसे नजर अंदाज नहीं करना चाहिए और हमें तुरंत चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। क्योंकि यह एक गंभीर बीमारी का लक्षण भी हो सकता है। अगर आपको मेरी यह जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया शेयर जरुर कीजियेगा।
Dhanywad !

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